
"कोरोना" का रोना... "कोरोना" का जब तक है रोना, आप अपने स्वास्थ्य हेतु हाथ जरूर धोना । शुद्ध खाना और भरपूर जल पीना अभी गंदगीसे बचकर ही है जीना । अब आगे तो कुदरत अपने हर रंग बदलेगी, आप 'कोरोना' से सबक सिख आजही से सुधर जाना । दूर देश फ़से अपनोके लिए आप दुआए करना, उसे मांगने मंदिर - मस्जिद या गुरद्वाऱ ना जाना, घर बैठे ही दिल से माँगना । दरवाज़े मंदिर और मस्जिदोके बंद होते है दिलों के नहीं, सच सबको पता है... भगवान दिलमें है पत्थर और फोटोंमें नहीं । आजकी ये सोशल मिडियावाली जिंदगीमें अफवावोंसे न डरना । अच्छे 'नागरिक' बन,सोचकर कदम बढ़ाना। भले कितनेभी आए संकट हमें अपने देशको है संभालना, हाथ जोड़; झुकाये मस्तक देशकी संस्कृतीका 'सन्मान' है करना । अभी मिली छुट्टियों में घर बैठे मिल-जुलकर भ्रष्टाचार का कोई 'प्लान' ना करना । अपनेही देशकी जनतासे क्यों है तुम्हें खिलवाड़ करना ? 'समय' दे रहा है 'कुदरत'तो आजही संभल जाना । 'राक्षस' से 'रक्षक' होकर जिंदगी खुल...